Imagine aliens land on the planet a million years from now and look into the geologic record. What will these curious searchers find of us?
कल्पना कीजिये कि बाह्य अंतरिक्ष के प्राणी आज से दस लाख वर्षों बाद धरती पर कदम रखते हैं और भूगर्भिक अभिलेख को देखते हैं।
They will find what geologists, scientists, and other experts
तो इन जिज्ञासु खोजकर्ताओं को हमारे बारे में क्या मिलेगा?
are increasingly calling the Anthropocene, or new age of mankind. The impacts that we humans make have become so pervasive, profound, and permanent that some geologists argue we merit our own epoch. That would be a new unit in the geologic time scale that stretches back more than 4.5 billion years, or ever since the Earth took shape. Modern humans may be on par with the glaciers behind various ice ages or the asteroid that doomed most of the dinosaurs.
उन्हें वह मिलेगा जिसे भूवैज्ञानिक, वैज्ञानिक, और बाक़ी विशेषज्ञ एन्थ्रोपोसीन, या मानव-जाति का नया ज़माना कह रहे हैं। हम मनुष्य धरती पर जो असर डालते हैं वह इतने व्यापक, गहन, और स्थायी बन चुके हैं कि भूवैज्ञानिक कहते हैं कि हमें अपने युगारम्भ को श्रेष्ठता देनी चाहिए। यह भूगर्भिक कालक्रम में एक नई इकाई होगी जो 4.5 अरब वर्षों से भी ज़्यादा पीछे तक विस्तृत होगी या तब से, जबसे धरती बनी। शायद आधुनिक मनुष्य, विभिन्न हिमयुगों के पीछे तुषार नदियों, या उस उपग्रह की बराबरी पर हों जिसने ज़्यादातर डायनासोरों का विनाश कर दिया।
What is an epoch? Most simply, it's a unit of geologic time. There's the Pleistocene, an icy epoch that saw the evolution of modern humans. Or there's the Eocene, more than 34 million years ago, a hothouse time during which the continents drifted into their present configuration. Changes in climate or fossils found in the rock record help distinguish these epochs and help geologists tell deep time.
युगारम्भ होता क्या है? सबसे सरल रूप में, यह भूगर्भिक समय की एक इकाई है। एक है "नवीनतम परत", जो एक बर्फीला युग था जिसमें आधुनिक मनुष्य की उत्क्रान्ति हुई। या फ़िर "आदि नूतन", 3.4 करोड़ वर्षों से भी ज़्यादा पुराना, एक गरम समय जिसके दौरान महाद्वीप बह कर उस आकार में आए जिसमे वह आज हैं। शिलाओं के अभिलेख में पाया जाने वाला जलवायु या जीवाश्मों में बदलाव इन युगारम्भों में अन्तर समझने में
So what will be the record of modern people's impact on the planet? It doesn't rely on the things that may seem most obvious to us today, like sprawling cities. Even New York or Shanghai may prove hard to find buried in the rocks a million years from now. But humans have put new things into the world that never existed on Earth before, like plutonium and plastics. In fact, the geologists known as stratigraphers who determine the geologic timescale, have proposed a start date for the Anthropocene around 1950. That’s when people started blowing up nuclear bombs all around the world and scattering novel elements to the winds. Those elements will last in the rock record, even in our bones and teeth for millions of years. And in just 50 years, we've made enough plastic, at least 8 billion metric tons, to cover the whole world in a thin film.
और भूवैज्ञानिकों को गहरे समय के बारे में बताने में मदद करता है। तो आधुनिक मनुष्यों के इस गृह पर असर का क्या अभिलेख होगा? यह उन चीज़ों पर निर्भर नहीं करता जो हमें आज बहुत ही ज़ाहिर सी लगती हैं, जैसे बढ़ते हुए शहर। यहाँ तक कि आज से दस लाख वर्षों में चट्टानों के नीचे दबे हुए न्यू यॉर्क या शांघाई भी ढूंढने के लिए मुश्किल साबित हो सकते हैं। लेकिन मनुष्यों ने दुनिया में नई वस्तुएँ ला दी हैं जो धरती पर पहले कभी अस्तित्व में थीं ही नहीं जैसे प्लूटोनियम और प्लास्टिक। वास्तव में, स्तर वैगयानिक कहलाने वाले भूवैज्ञानिकों ने, जो भूगर्भिक कालक्रम को अवधारित करते हैं, एन्थ्रोपोसीन के आरम्भ की तारीख़ 1950 के आस-पास रखने का प्रस्ताव दिया है। यह वह समय था जब लोगों ने पूरे विश्व में परमाणु बम फ़ोड़ना और नए तत्वों को हवा में फैलाना शुरू कर दिया। वह तत्व चट्टानों के अभिलेख में, यहाँ तक कि हमारी हड्डियों और दाँतों में, करोड़ों वर्षों तक ज़िंदा रहेंगे। और केवल 50 वर्षों में हमने इतनी प्लास्टिक बना ली है, कम से कम 8 अरब मीट्रिक टन, जो पूरी दुनिया को एक पतली परत में ढकने के लिए काफ़ी है।
People's farming, fishing, and forestry will also show up as a before and after in any such strata because it's those kinds of activities that are causing unique species of plants and animals to die out. This die-off started perhaps more than 40,000 years ago as humanity spread out of Africa and reached places like Australia, kicking off the disappearance of big, likable, and edible animals. This is true of Europe and Asia, think woolly mammoth, as well as North and South America, too. For a species that has only roamed the planet for a few hundred thousand years, Homo sapiens has had a big impact on the future fossil record.
लोगों की खेती, मछली पकड़ना, और वानिकी भी, ऐसी किसी भी परतों में, पहले और बाद की दशा बताएगी, क्योंकि यह इस तरह की गतिविधियाँ हैं जो पेड़-पौधों और जानवरों की अद्वितीय प्रजातियों के विलुप्त होने का कारण हैं। यह विलुप्ति शायद 40,000 वर्ष पहले शुरू हुई जब मानवजाति अफ़्रीका के बाहर फ़ैलने लगी और ऑस्ट्रेलिया जैसे स्थानों पर पहुँच उसने बड़े, आकर्षक और खाने योग्य जानवरों के विलुप्त होने का सिलसिला शुरू किया। यह यूरोप और एशिया के लिए सच है, याद है, ऊनी विशालकाय हाथी? तथा उत्तर और दक्षिण अमेरिका के लिए भी। एक ऐसी प्रजाति होने के बाद भी जिसने धरती पर कुछ लाख़ वर्ष ही विचरण किया है हम मनुष्यों ने भविष्य के जीवाश्म अभिलेख पर बहुत बड़ा असर डाला है।
That also means that even if people were to disappear tomorrow, evolution would be driven by our choices to date. We're making a new homogenous world of certain favored plants and animals, like corn and rats. But it's a world that's not as resilient as the one it replaces. As the fossil record shows, it's a diversity of plants and animals that allows unique pairings of flora and fauna to respond to environmental challenges, and even thrive after an apocalypse. That goes for people, too. If the microscopic plants of the ocean suffer as a result of too much carbon dioxide, say, we'll lose the source of as much as half of the oxygen we need to breathe.
इसका अर्थ यह भी है कि अगर कल मनुष्य विलुप्त हो जाएँ तो भी उत्क्रान्ति, उन विकल्पों के अनुसार चलेगी जो हमने आज तक चुने हैं। हम कुछ इष्ट पेड़-पौधों और जानवरों की एक नई समरूप दुनिया बना रहे हैं, जैसे मकई और चूहे। लेकिन यह एक ऐसी दुनिया है जो उतनी लचनशील नहीं है जितनी वह है जिसकी जगह यह ले रही है। जैसा कि जीवाश्म अभिलेख दिखाता है वह पेड़-पौधों और जानवरों की विविधता ही है जो वनस्पति और प्राणी समूह के ऐसे अद्वितीय जोड़े बनने देती है जो पर्यावरण की चुनौतियों पर प्रतिक्रिया करें और यहाँ तक कि एक कयामत के बाद भी फलें-फूलें। यह मनुष्यों के लिए भी सच है। मान लीजिये कि अगर सागर के अति-सूक्ष्म पौधे बहुत ज़्यादा कार्बन डाइआक्साइड के असर से विलुप्त हो जाते हैं तो हम उस आधे ऑक्सीजन का स्त्रोत खो बैठेंगे जो हमें साँस लेने के लिए चाहिए।
Then there's the smudge in future rocks. People's penchant for burning coal, oil, and natural gas has spread tiny bits of soot all over the planet. That smudge corresponds with a meteoric rise in the amount of carbon dioxide in the air, now beyond 400 parts per million, or higher than any other Homo sapiens has ever breathed.
और फिर है भविष्य के पत्थरों में पाई जाने वाली कालिख। लोगों की कोयला, तेल, और प्राकृतिक गैस जलाने की प्रवृत्ति ने पूरी धरती पर कालिख के छोटे-छोटे कण फ़ैला दिए हैं। यह कालिख हवा में कार्बन डाइऑक्साइड की वायु-मंडल में वृद्धि करती है जो अब 400 भाग प्रति दस लाख़ से भी ज़्यादा है, या किसी भी पूर्व मनुष्य द्वारा श्वसित से भी ज़्यादा।
Similar soot can still be found in ancient rocks from volcanic fires of 66 million years ago, a record of the cataclysm touched off by an asteroid at the end of the late Cretaceous epoch. So odds are our soot will still be here 66 million years from now, easy enough to find for any aliens who care to look.
6.6 करोड़ वर्ष पुरानी, ज्वालामुखियों की आगों से उत्पन्न ऐसी ही कालिख प्राचीन पत्थरों में आज भी पाई जा सकती है, जो क्रेटेसियस युग के अन्त में एक उपग्रह द्वारा भड़काई प्रलय का एक अभिलेख है। तो सम्भावना है कि अब से 6.6 करोड़ वर्ष में हमारी कालिख भी यहाँ होगी, और किसी भी ऐसे बाह्य अंतरिक्ष के प्राणी को आसानी से मिल जाएगी जो ढूँढना चाहेगा।
Of course, there's an important difference between us and an asteroid. A space rock has no choice but to follow gravity. We can choose to do differently. And if we do, there might still be some kind of human civilization thousands or even millions of years from now. Not a bad record to hope for.
बेशक, हम में और एक उपग्रह में अन्तर है। अन्तरिक्ष के एक पत्थर के पास गुरुत्वाकर्षण का पीछा करने के सिवा कोई विकल्प नहीं होता। हम, कुछ अलग करने का चुनाव कर सकते हैं। और अगर हम यह करें, तो शायद आज से हज़ारों या करोड़ों वर्षों बाद भी किसी तरह की मानव सभ्यता अस्तित्व में हो। आशा करने के लिए यह कोई बुरा अभिलेख नहीं है।